छत्तीसगढ़

गुरुजनों की कमी के चलते नौनिहालों के सुखद भविष्य की इच्छा ग्रामीणों कहीं अधूरी न रह जाये

रायपुर

जिले के ग्राम टेकारी के ग्रामीणों को उच्चतर माध्यमिक शाला खुलवाना महंगा पड़ रहा है। जनभागीदारी स्कूल खोलने से लेकर उसके हायर सेकेण्डरी में उन्नयन के बाद से पिछले शैक्षणिक सत्र तक वे ग्रामीण व्यवस्था के तहत जुगाड़ कर तीनों ? स्कूलों के लिये गुरुजनों की व्यवस्था में वे करीबन 25 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं और अब उनका सब्र जवाब दे रहा है। वे नौनिहालों की बेहतर भविष्य के खातिर उग्र कदम उठाने की तैय्यारी में है पर इसके पूर्व गुरूजनो सहित कार्यालयीन स्टाफ की कमी को दूर करने की मांग को ले अभी अभी शिक्षा विभाग के प्रभार सम्हालने वाले शिक्षा मंत्री रविन्द्र चौबे सहित क्षेत्रीय विधायक व नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया को ज्ञापन सौंपा गया है।

ज्ञातव्य हो कि ग्राम टेकारी में स्वतंत्रता के बाद सन् 1948 से शासकीय प्राथमिक शाला है। सन् 1954 में यहां शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खुला। ग्रामीणों की मांग पर सन् 2001 में जनभागीदारी उच्च माध्यमिक शाला खोला गया जिसका शासकीयकरण पश्चात सन् 2011मे उच्चतर माध्यमिक शाला के रूप में उन्नयन किया गया। उन्नयन के समय से ही इस विद्यालय में भौतिकी व हिंदी के व्याख्याता का पद रिक्त है व बीते दो वर्षों से प्राचार्य व रसायन विज्ञान के व्याख्याता का पद भी रिक्त पड़ा हुआ है। भौतिकी विषय के रिक्त पद के विरुद्ध रायपुर के डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला डब्लू आर एस कालोनी में पदस्थ अतिशेष व्याख्याता का वेतन टेकारी के इस स्कूल से आहरित किया जा रहा है जबकि यह व्याख्याता शहर के स्कूल को छोड़ टेकारी के स्कूल में सेवा देने तैयार है व विधिवत विभागीय आवेदन भी दे चुका है। इसके अतिरिक्त इस स्कूल में सहायक शिक्षक विज्ञान , ग्रंथपाल व सहायक ग्रेड – 3 के एक एक पद व नियमित मृत्यु के 3 पद रिक्त है। इसी तरह पूर्व माध्यमिक शाला में बीते 1 मई से प्रधानपाठक व अंग्रेजी तथा सामाजिक विज्ञान के शिक्षक का पद अरसे से रिक्त पड़ा हुआ है। प्राथमिक शाला में बीते 1 जून से प्रधान पाठक का पद रिक्त है। इस शैक्षणिक सत्र में इस विद्यालय में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 102 है लेकिन शिक्षक दो हैं जिसमें से एक संकुल समन्वयक बना दिये जाने के कारण विद्यार्थियों को अध्यापन करा पाने में असमर्थ है।

शिक्षकों की कमी के बाद भी यहां पदस्थ एक और शिक्षक को व्यवस्था के तहत विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय आरंग से बाहर पदस्थ कर दिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार जनभागीदारी स्कूल खुलने के समय से लेकर अब तक गुरुजनों की व्यवस्था में ग्रामीण जुगाड़ कर तकरीबन 25 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं जिसमें उन्नयन बाद करीबन 13 लाख रुपए खर्च किया गया है। शाला विकास समिति व ग्रामीण सभा की बैठक में गुरुजनों की इस समस्या को ले आक्रोश दिखा। शाला विकास समिति के अध्यक्ष हुलास राम वर्मा व सरपंच नंदकुमार यादव ने जानकारी दी इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक व नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डहरिया को बीते व इस वर्ष भी ज्ञापन सौंप ध्यानाकृष्ट कराया गया है। इधर बीते कल बुधवार को ग्रामीणों के आग्रह पर किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने शालेय शिक्षा मंत्री रविन्द्र चौबे को यह सब जानकारी देते हुये ज्ञापन सौंप गुरुजनों व स्टाफ की कमी को नौनिहालों के हित में दूर करने का आग्रह किया है।

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