विदेश

47 साल बाद शुरू हुआ ‘लूना 25’ का सफर, चांद पर भारत का पड़ोसी होगा रूस; पहुंचने में चंद्रयान-3 से लगी होड़

रूस  

रूस ने शुक्रवार 11 अगस्त को अपने स्थानीय समय तड़के 2.11 बजे वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना- 25 लैंडर की लॉन्चिंग की। 47 साल बाद रूस चंद्रमा के लिए अपना पहला अंतरिक्ष यान रवाना कर चुका है। इससे पहले भारत ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करने की कोशिश में चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा है। चंद्रमा के लिए रवाना किए गए दोनों मिशन दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे। इस तरह भारत और रूस चांद पर एक दूसरे के पड़ोसी होने वाले हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि लूना 25 चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 से पहले ही लैंड करेगा।

बता दें रूस 1976 के बाद पहली बार चंद्रमा पर अपने 'लूना-25' यान को भेज रहा है। इस यान का प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना किया गया है, जिसने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद मॉस्को के साथ अपना सहयोग समाप्त कर दिया है। खबरों के मुताबिक, रूसी अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की संभावना है। यह वही तारीख है, जब भारत की तरफ से 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर कदम रखने की उम्मीद है।

दोनों ही देशों ने अपने-अपने यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जहां अभी तक कोई भी यान सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हो सका है। अभी तक सिर्फ तीन देश-अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग कर पाए हैं। सब कुछ ठीक रहा तो रूस का लूना 25 और चंद्रयान-3 की दक्षिणी ध्रुव पर मौजूदगी से दोनों देश चांद पर एक दूसरे के पड़ोसी हो जाएंगे।

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के मुताबिक, लूना का लैंडर 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर सकता है। पहले इसके लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त बताई जा रही थी। इंटरफैक्स के मुताबिक, बोरिसोव ने लॉन्च के बाद वोस्तोचन कोस्मोड्रोम में कार्यकर्ताओं से कहा, "अब हम 21 तारीख का इंतजार करेंगे। मुझे उम्मीद है कि चंद्रमा पर बेहद सटीक सॉफ्ट लैंडिंग होगी।" लूना-25, लगभग एक छोटी कार के आकार का है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक वर्ष तक काम करने के लक्ष्य से बनाया गया है।

लूना-25 मिशन की सफलता महत्वपूर्ण महत्व रखती है, क्योंकि रूसी सरकार का दावा है कि यूक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से रूसी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा है। ऐसे में पहली बार रूस ने अपने दम पर इस अंतरिक्ष मिशन को लॉन्च किया है। फरवरी 2022 में यूक्रेन से युद्ध के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रूस की भागीदारी खत्म हो गई थी, जिसके कारण पश्चिमी देशों के साथ रूस के अंतरिक्ष-संबंधी सहयोग में काफी कमी आई।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button