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‘वर्ल्ड कप थाल में सजाकर नहीं मिलता…’, आईसीसी ट्रॉफी को लेकर रोहित शर्मा ने क्यों कही ये बात

 नई दिल्ली
कप्तान रोहित शर्मा ने कहा कि भारत आगामी वनडे वर्ल्ड कप में आईसीसी ट्रॉफी के सूखे को खत्म करने के लिए 'बेताब' है और उसके पास खिताब जीतने के लिए 'आत्मविश्वास' है। भारत ने एक दशक से आईसीसी टूर्नामेंट में खिताब नहीं जीता है। टीम इंडिया ने पिछला आईसीसी खिताब 2013 में चैंपियन्स ट्रॉफी के रूप में जीता था जबकि इससे दो साल पहले स्वदेश में विश्व कप जीता था। रोहित ने एक कार्यक्रम के इतर मीडिया से कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी (50 ओवर का) वर्ल्ड कप नहीं जीता है। विश्व कप जीतना सपना है और यहां इसके लिए चुनौती पेश करने से खुशी की बात कुछ और नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा, 'आपको विश्व कप थाल में सजाकर नहीं मिलता, आपको कड़ी मेहनत करनी होती है और 2011 से इतने वर्षों से हम यही कर रहे हैं। हम सभी इसके लिए लड़ रहे हैं।'

रोहित ने कहा, 'सभी मैदान पर उतरने और जीतने के लिए बेताब हैं क्योंकि हमें पता है कि हमारे पास अच्छी टीम है। हम सभी अच्छे खिलाड़ी हैं, हमारे पास आत्मविश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं। ऐसा नहीं हुआ का मतलब नहीं कि हम इसे हल्के में लेंगे। जब हम 2022 विश्व कप में हारे तो मैंने कहा था कि हम अगले विश्व कप के लिए चुनौती पेश करेंगे।'

रोहित ने कहा कि उन्हें टीम की अगुआई की जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन उनका मुख्य काम बल्लेबाज के रूप में अच्छा प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा, 'मुझे सबसे पहले बल्लेबाज के रूप में अच्छा करना होगा। कप्तानी इसके बाद आती है… टीम में मेरी भूमिका बल्लेबाज की अधिक है। सबसे पहले मुझे बड़ी पारियां खेलनी होंगी और टीम के लिए मैच जीतने होंगे।'

विश्व कप से पहले लोकेश राहुल और श्रेयस अय्यर जैसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी अनुपलब्ध हैं और रोहित ने कहा कि वह अब चोटों से डरते हैं। उन्होंने हालांकि खिलाड़ियों को आराम देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'पिछले साल भी हमने ऐसा ही किया था टी20 विश्व कप होने वाला था इसलिए हमने वनडे क्रिकेट नहीं खेला। अब भी हम ऐसा ही कर रहे हैं, एकदिवसीय विश्व कप होने वाला है तो हम टी20 मैच नहीं खेल रहे।' कोहली के हाल में भारत की टी20 सीरीज में नहीं खेलने के बारे में पूछने पर रोहित ने कहा, 'यह विश्व कप वर्ष है, हम सभी को तरोताजा रखना चाहते हैं। पहले से ही हमारी टीम में इतनी चोटें हैं कि अब मुझे चोटों से डर लगता है।'

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